केंद्र सरकार और कर्मचारी भविष्य निधि संगठन-EPFO से लाखो पेंशनर्स उम्मीद कर रहे है कि वो मिनिमम पेंशन में वृद्धि कर देंगे। इस बात को लेकर हर दिशा से आवेदन, निवेशन और प्रतिवाद के कार्य हो रहे है। सभी लोगो की मांग 1 हजार रुपए की पेंशन को न्यूनतम 7,500 रुपए करने की है। साथ ही काफी नई राजनैतिक समीकरण भी सामने आने लगे है जिनसे पेंशनभोगी सरकार को दबाव में लाने का काम कर सकते है।
जानकारी के मुताबिक, एक कार्यशील लोकतंत्र में जनमत और दबाव के कार्य ऐसे ही होते है। अब सरकार को हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड में होने वाले विधानसभा इलेक्शन में पराजय का भी डर है। ऐसे ही यूपी की 10 विधानसभा सीटो पर उपचुनाव भी होंगे।
प्रत्येक सीट की अहमियत भारत सरकार को भीतरी और बाहरी तरीके से विस्तृत रूप से असर डालने में अहम है। चुनावी हार से मोदीजी की पकड़ में कमी आयेगी और नीतीश-नायडू के असर में वृद्धि होगी।
चुनावी परिणाम से सरकार विवश
चुनावो में राजनैतिक स्वार्थ की वजह से मोदी सरकार को एकीकृत पेंशन स्कीम से केंद्रीय कर्मचारियों की पेंशन ज्यादा उदार करने पर सोचने को विवश किया है। यह 22 लाख कर्मियों को खुशी देकर अपना मत बदलने को तैयार करेगा। किंतु अभी भी 95 लाख EPS पेंशनर्स आर कोई फैसला नहीं हुआ है।
NAP पार्टी अच्छी पोजीशन में
NAC नेता अशोक राउत 31 अगस्त की डेडलाइन जारी कर चुके है। मोदीजी ने महाराष्ट्र में आकर लखपति दीदी, बैंक सहेली एवं अन्य स्कीम से महिलाओ को फायदे देने पर भाषण किया। महाराष्ट्र में NCP अच्छी पोजिशन में है। EPS 95 पेंशनर्स की दिक्कत और सरकार के 2 बार टालने पर याद होता है।
फैसला चुनावो पर असर डालेगा
पेंशनभोगी लिखते है कि पोस्टर, बैनर और इलेक्ट्रोनिक मीडिया की मदद से पीएम का ध्यान खींच सकते है। कोई पॉजिटिव फैसला न आने पर EVM और NOTA बटन से भविष्य के इलेक्शन में बीजेपी पर असर पड़ेगा।
EPS में सरकार अंशदान वृद्धि का विकल्प
मिनिमम पेंशन की मदद से बूढ़े पेंशनर्स को कुछ राहत देने के सरकार की सब्सिडी वृद्धि, EPS में सरकार के अंशदान को 1.16% से 2% से ज्यादा करना। ये बात सरकार पर डिपेंड करेगी कि वो हितधारको के परामर्श पर सोचे और सरकार की वहन क्षमता देखे।
ज्यादा योगदान से स्कीम में सुधार संभव
इच्छाशक्ति होने पर ही कुछ संभव होगा। प्राइवेट सेक्टर का नियोक्ता सरकार जैसी आर्थिक क्षमता एवं स्थिरता नही रखता है। किंतु नियोक्ता/ कर्मचारियों और सरकार से ज्यादा अंशदान से स्कीम बेहतर हो सकती है। सरकार प्राइवेट सेक्टर की पूरी पेंशन की पेमेंट को नहीं ले सकेंगे।