
Income Tax Rule के तहत पिछले वर्ष सरकार ने इनकम टैक्स स्लैब (Income Tax Slab) में अहम बदलाव किए थे, जो कि वित्त वर्ष 2024-25 की ITR Filing के दौरान प्रभावी होंगे। नए टैक्स रिजीम (New Tax Regime) के तहत लागू इन बदलावों का मकसद मध्यमवर्गीय टैक्सपेयर्स को राहत देना है। नए स्लैब के अनुसार टैक्स की दरों में पुनर्गठन किया गया है, जिससे टैक्स दाताओं को करीब ₹17,500 तक की बचत हो सकती है। इसके साथ ही, पुराने टैक्स रिजीम को पीछे छोड़ते हुए अधिक लोगों को नए स्लैब के तहत शिफ्ट होने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। ITR भरते वक्त इन स्लैब की जानकारी जरूरी होगी, क्योंकि आपकी टैक्स लायबिलिटी इन्हीं के आधार पर तय होगी।
स्टैंडर्ड डिडक्शन में बढ़ोतरी से सैलरीड क्लास को बड़ा फायदा
नौकरीपेशा वर्ग के लिए एक और राहत भरी खबर यह है कि नए टैक्स रिजीम के तहत स्टैंडर्ड डिडक्शन (Standard Deduction) की सीमा को बढ़ा दिया गया है। पहले यह सीमा ₹50,000 थी, जिसे अब बढ़ाकर ₹75,000 कर दिया गया है। यह बदलाव खासकर उन सैलरीड कर्मचारियों के लिए महत्वपूर्ण है जो किसी तरह की अतिरिक्त टैक्स कटौती के विकल्प नहीं चुनते। इसके अलावा फैमिली पेंशनर्स को भी राहत दी गई है। पहले उन्हें ₹15,000 की छूट मिलती थी, जो अब बढ़ाकर ₹25,000 कर दी गई है। इन बदलावों का सीधा असर टैक्सेबल इनकम पर पड़ेगा, जिससे कुल टैक्स बोझ घटेगा।
कॉरपोरेट एनपीएस डिडक्शन लिमिट में इजाफा
नए इनकम टैक्स नियमों के तहत नेशनल पेंशन स्कीम यानी NPS में भी बड़ा बदलाव किया गया है। सेक्शन 80CCD(2) के तहत अब कंपनियां अपने कर्मचारियों के NPS अकाउंट में कुल वेतन का 14% तक योगदान कर सकती हैं, जो पहले केवल 10% तक सीमित था। यह नियम सिर्फ केंद्र सरकार के कर्मचारियों पर लागू नहीं है, बल्कि अब सभी निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के कर्मचारियों के लिए लागू हो चुका है। यह बदलाव उन टैक्सपेयर्स के लिए फायदेमंद है जो रिटायरमेंट प्लानिंग के तहत कॉरपोरेट NPS में निवेश करते हैं। ITR भरते वक्त इस अतिरिक्त डिडक्शन को दर्शाकर आप टैक्स में बड़ी राहत पा सकते हैं।
शॉर्ट और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर बदले टैक्स रेट
टैक्सपेयर के लिए यह जानना जरूरी है कि पिछले साल शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG) और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) के नियमों में भी संशोधन किया गया था। इक्विटी और म्यूचुअल फंड्स से होने वाली शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन इनकम पर अब 20% टैक्स लगेगा, जो पहले 15% था। वहीं, गोल्ड, रियल एस्टेट जैसे एसेट्स पर हुए शॉर्ट टर्म गेन आपकी आयकर स्लैब दरों के मुताबिक टैक्सेबल होंगे। लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर भी अब 12.5% टैक्स लगेगा, जबकि पहले यह दर 10% थी। अच्छी बात यह है कि LTCG की टैक्स छूट सीमा को ₹1 लाख से बढ़ाकर ₹1.25 लाख कर दिया गया है। यानी इस सीमा तक के लाभ पर कोई टैक्स नहीं देना होगा।
कैपिटल गेन के होल्डिंग पीरियड में बदलाव
Income Tax Rule में किए गए एक और अहम बदलाव के तहत कैपिटल गेन की गणना में होल्डिंग पीरियड की परिभाषा को स्पष्ट किया गया है। लिस्टेड सिक्योरिटीज के लिए यदि होल्डिंग पीरियड 12 महीने से अधिक है तो उसे लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन माना जाएगा, वरना वह शॉर्ट टर्म में गिना जाएगा। वहीं, नॉन-लिस्टेड सिक्योरिटीज के लिए यह अवधि 24 महीने रखी गई है। यानी यदि आपने किसी गैर-सूचीबद्ध शेयर को 2 साल से अधिक समय तक रखा है, तो उस पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन की दर लागू होगी। ये बदलाव खास तौर पर उन निवेशकों के लिए जरूरी हैं जो IPO, बांड्स या Private Equity जैसे विकल्पों में निवेश करते हैं।
इनकम टैक्स फाइलिंग के समय रखें इन बदलावों का ध्यान
अब जब ITR Filing की प्रक्रिया शुरू हो रही है, तो हर टैक्सपेयर को इन नए नियमों की सही जानकारी होना जरूरी है। चाहे आप Salary Class हों, Pensioner हों, या फिर Mutual Fund और Equity में निवेश करने वाले व्यक्ति—ये सभी बदलाव आपकी टैक्स प्लानिंग को प्रभावित करेंगे। सरकार ने टैक्स सिस्टम को ज्यादा सरल और पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से इन नियमों में बदलाव किया है, ताकि टैक्सपेयर को ज्यादा से ज्यादा राहत दी जा सके।