सुप्रीम कोर्ट की तरफ से पंजाब नेशनल बैंक की 15 सालो तक कम्युटेशन रिकवरी की एक विशेष अनुमति पिटीशन को अस्वीकृत कर दिया गया है। यह याचिका PNB की तरफ से 9 अगस्त 2024 को दायर की गई थी। इसको लेकर SC की तरफ से महत्वपूर्ण फैसला आया है। इस पिटीशन को पंजाब और हरियाणा की हाई कोर्ट की तरफ से 18 जुलाई 2024 में आए एक फैसले के विरुद्ध दायर किया गया था।
यह है पूरा मामला
18 जुलाई 2024 के दिन पंजाब एवं हरियाणा की हाई कोर्ट की तरफ से कम्युटेशन रिकवरी पर अहम निर्णय आता था। इसमें कहा था कि असल रिकवरी 11 वर्ष 6 माह में पूरी होती है तो सरकार को रिकवरी जारी रखने का अधिकार नहीं है। अदालत का सरकार को निर्देश था कि याचिकर्ताओ की रिकवरी को तुरंत रोका जाए। हाई कोर्ट की रोक पर पंजाब नेशनल बैंक निर्णय के विरोध में सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति पिटीशन देने गया।
सुप्रीम कोर्ट ने पिटीशन नकारी
केस को लेकर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवाई एवं जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने सामने 9 अगस्त 2024 में सुनाई हुई। केस की सुनवाई से पूर्व ही PNB के वकीलों ने अदालत से पिटीशन वापसी की अपील की और दूसरे कानूनी हल अपनाने की परमिशन मांगी। अदालत ने भी पिटीशन की वापसी की परमिशन दे डाली।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
- याचिकाकर्ता के वकील की तरफ से पिटीशन वापसी की परमिशन मांगी गई है।
- अदालत ने अनुरोध को स्वीकार किया है।
- विशेष अनुमति की पिटीशन को इस आधार में अस्वीकृत किया है कि इसको वापसी करके याची को दूसरे कानूनी हल अपनाने की आजादी दी गई है।
- यह फैसला देकर अदालत ने केस को बंद कर दिया।
रिकवरी बंद करने के आदेश
अदालत में PNB की पिटीशन वापसी से पेंशनर्स की स्थिति मजबूत दिखाती है। वैसे इसको लेकर सरकार ने कोई कॉमन सर्कुलर नही निकाला। ऐसे में पेंशनर्स के अदालत जाने पर उनको लाभ होगा। ऐसे जिन भी पेंशनर्स की रिकवरी 11 वर्ष 6 माह में पूरी हुई हो तो भविष्य में नहीं होगी। इस काम में पेंशनर्स संगठन के साथ आकर सुप्रीम कोर्ट में PIL ( जनहित याचिका) डालकर पेंशनर्स को अधिकार दिलवाना होगा।
जनहित याचिका(PIL) से ज्यादा फायदा
यदि पेंशनर्स अलग-अलग निजी पिटीशन दाखिल करे तो फायदे के साथ खर्चा भी होगा। कम खर्च के लिए पेंशनर्स को एकता के साथ एक ही PIL दायर करने की जरूरत है। ऐसे उनका अपना भी काम होगा और दूसरे पेंशनर्स को भी फायदा मिलेगा।