
केदारनाथ धाम 2025 में श्रद्धालुओं के लिए खुले हैं और यह भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक अत्यंत पवित्र स्थान माना जाता है। यह मंदिर भारत के सबसे ऊंचे शिव मंदिरों में से एक है और इसे पंचकेदार तीर्थ स्थलों में पहला स्थान प्राप्त है। केदारनाथ धाम का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व न केवल धार्मिक यात्रियों के लिए, बल्कि भारतीय संस्कृति के प्रतीक के रूप में भी अनमोल है। इस पवित्र धाम के शिवलिंग का आकार त्रिकोणीय है, जो इसे अन्य ज्योतिर्लिंगों से अलग बनाता है। इस लेख में हम इसके विशेष आकार और इसके पीछे की पौराणिक कथा पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
केदारनाथ शिवलिंग का त्रिकोणीय आकार
केदारनाथ मंदिर में स्थित शिवलिंग का आकार त्रिकोणाकार है, जो न केवल शास्त्रीय दृष्टिकोण से अद्वितीय है, बल्कि इसके पीछे एक दिलचस्प पौराणिक कथा भी जुड़ी हुई है। इस शिवलिंग की परिधि लगभग 12 फीट है, और इसकी ऊंचाई भी लगभग 12 फीट है। यह आकार ऐसा है, जो बैल की पीठ जैसा प्रतीत होता है। इस विशेष आकार के बारे में कई लोग सवाल करते हैं, और इसका उत्तर हमें पौराणिक कथाओं में मिलता है।
पांडवों से जुड़ी पौराणिक कथा
महाभारत के युद्ध के बाद, पांडवों ने अपने पापों को धोने और भगवान शिव से क्षमा प्राप्त करने के लिए एक कठिन तपस्या की थी। जब वे भगवान शिव की उपासना करने के लिए पर्वतों पर गए, तो भगवान शिव ने उन्हें परीक्षा लेने के लिए नंदी के रूप में एक बैल का रूप धारण किया। पांडवों ने जब उस बैल को पकड़ने की कोशिश की, तो भगवान शिव ने उसे पाताल लोक में जाने की कोशिश की। लेकिन भीम ने उसे पकड़ लिया और इस प्रकार भगवान शिव का शिवलिंग का रूप धारण हुआ। यही कारण है कि केदारनाथ के शिवलिंग का आकार बैल की पीठ जैसा त्रिकोणीय है। यह शिवलिंग भगवान शिव की पवित्रता और पांडवों द्वारा की गई भक्ति का प्रतीक बन गया।
केदारनाथ धाम की विशेषताएँ
केदारनाथ धाम के बारे में एक और विशेष बात यह है कि यह साल के अधिकांश समय बर्फ से ढका रहता है। यह पवित्र स्थान भगवान शिव के निवास के रूप में पहचाना जाता है। प्रत्येक वर्ष, जब मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोले जाते हैं, तो हजारों भक्त यहां भगवान शिव के दर्शन करने आते हैं। यहां के वातावरण में एक अद्वितीय शांति और पवित्रता का अनुभव होता है, जो इस स्थान को और भी विशेष बनाता है।