भारत सरकार से देशभर के 1 करोड़ से अधिक कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को बड़ा झटका मिल रहा है। अब इन सभी के लिए मोदी की गारंटी यही समाप्त हो रही है। कोविड महामारी के दौर में इन कर्मचारियों के 18 महीने के DA (रोजाना भत्ता) को रोक लिया था किंतु अब इसके एरियर के मिलने के चांस भी खत्म हो गए है। वित्त मंत्री पंकज चौधरी की तरफ से राज्यसभा में स्पष्ट हुआ है कि 18 महीने के DA या DR को रोक लिया था और इसका एरियर भी नही मिलने वाला है।
राज्यसभा के मेंबर जावेद अली खान और रामजी लाल शर्मा ने पूछा कि क्या सरकार कोविड महामारी में कर्मचारियों के रोके हुए DA/ DR के एरियर को देने का प्रयास किया है या नही। साथ ही इन दोनो ने पेमेंट न होने पर कारणों को लेकर प्रश्न मांगा था। ध्यान दे कर्मचारियों के संयुक्त राष्ट्रीय परिषद के मेंबर्स समेत काफी कर्मचारी संगठनों ने DOPT सचिव से अनुग्रह किया था।
DA एरियर पर अखिलेश ने केंद्र सरकार को घेरा
केंद्रीय कर्मचारियों के 18 महीने के महंगाई भत्ते (DA) के एरियर का मामला गहरा गया है। कर्मचारियों के संयुक्त राष्ट्रीय परिषद सदस्यों समेत कई कर्मचारी संगठनों की तरफ से DOPT (कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग) के सचिव से आग्रह किया था कि इस रुके हुए DA के एरियर को शीघ्रता से जारी करें। इस मामले में एक पत्र भी लिखा था। साथ ही केंद्रीय कर्मचारियों के संयुक्त सलाहकार तंत्र, राष्ट्रीय परिषद सचिव शिव गोपाल मिश्रा ने भी पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र से कोरोना काल में रुके हुए DA और DR (महंगाई राहत) के एरियर को देने की डिमांड रखी थी।
किंतु सरकार की तरफ से इस डिमांड को माना नही गया है और इससे कर्मचारियों नाराज भी हुए है। इसी को लेकर समाजवादी पार्टी मुखिया अखिलेश यादव ने भी केंद्र सरकार पर हमला किया है। अखिलेश ने अपने `एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट से केंद्र सरकार की आलोचना करके पोस्ट किया कि सरकार के ‘वैश्विक आर्थिक महाशक्ति’ होने के दावों से क्या मतलब यही है कि कर्मचारी अपने अधिकार का के पैसे भी नहीं ले सकेंगे? केंद्र सरकार का केंद्रीय कर्मचारियों को 18 महीने का DA एरियर देने का इंकार एक प्रकार से ‘सरकारी गारंटी’ से मना करना है।”
वे और लिखते है, “सरकार बता दे कि लगातार बढ़ रहे GST कलेक्शन और कई ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी के पैसे कहां जा रहे है? अरबों के जहाजों और टपकते भवनों के लिए तो पैसा है लेकिन सही मायने में सरकार चलाने वाले कर्मचारियों के लिए नहीं।”
मामले के और बढ़ने की संभावनाएं
अखिलेश यादव का ये रिएक्शन साफ करता है कि वो केंद्र सरकार की पॉलिसियो से संतुष्ट नहीं हैं और वो इस मामले में सरकार को कठघरे में खड़ा कर रहे है। कर्मचारियों के इस अधिकार की डिमांड पर सरकार के इस कदम को लेकर ये मामला भविष्य में और बढ़ता नजर आ रहा है।
विश्व की तीसरी अर्थव्यवस्था बनने के लिये सरकार ज्वलंत मुद्दों जैसे बेरोजगारी, वरिष्ठ नागरिकों के मूलभूत अधिकारों और टैक्स payer के हितों की किसी भी प्रकार की समस्या का हल करने में सक्षम नहीं दिख रही हैं, यह एक बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है
सरकार से कोई उम्मीद नहीं रखनी चाहिए क्योंकि इन्हें आम नागरिक पर अधिक टैक्स लगाकर जीएसटी बड़ाकर 5 ट्रिलियन दिखाना है
मोदी सरकार से सरकारी कर्मचारी कोई उम्मीद ना करें,, अपने हक़ पैसा नहीं मिल पा रहा है,