हिमाचल सरकार के सामने वेतन-पेंशन का संकट आया, अगले वर्ष रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट भी कम होगी

Himachal Sailary Pension: हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ने आर्थिक संकट से इनकार किया, लेकिन रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट की कमी और कर्मचारियों-पेंशनभोगियों की सैलरी में देरी ने वित्तीय संकट को उजागर किया। केंद्र से ग्रांट में कटौती और बढ़ते कर्ज से प्रदेश की आर्थिक स्थिति चुनौतीपूर्ण बनी हुई है।

By allstaffnews@admin
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इस समय पर हिमाचल प्रदेश का आर्थिक संकट काफी चर्चित हो रहा है। इसके बाद मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस बारे में पोजीशन को साफ कर दिया है कि प्रदेश में किसी प्रकार का आर्थिक संकट नही है। किंतु अब डाटा देखे तो वो कुछ और ही कहानी बयान करते है। वित्तीय संकट की चर्चा होने पर हमेशा रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट की बात आती है।

वित्त विभाग की सिफारिशें होने पर इसको केंद्र सरकार प्रदेशों को देती है। अब बीते 5 सालो को देखे तो रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट साल 2021-22 में 10,249 करोड़ रुपए वार्षिक रही थी। अगले वित्त वर्ष में ये कम होकर 3,257 करोड़ रुपए हो जाएगी। इस तरह से साल 2021-2 में प्रदेश सरकार प्रतिमाह 854 करोड़ रुपए की ग्रांट ले रही थी जोकि अगले वित्त वर्ष में कम होकर 271 करोड़ रुपए ही मिलेगी।

अभी सरकार को अपने कर्मचारियों को हर माह की सैलरी देने में 1,200 करोड़ रुपए और पेंशन देने में 800 करोड़ रुपए की राशि की जरूरत होगी। वर्तमान की रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट तो काफी कम है।

रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट का हिसाब-किताब

हिमाचल की विधानसभा में सरकार के दिए डाटा के अनुसार, साल 2021-22 में रिवेंसी डेफिसिट ग्रांट की रकम 10,249 करोड़ रुपए रही थी। इसके अगले वित्त वर्ष में यह 9,377 करोड़ रुपए रही। इससे अगले वित्त वर्ष में यह केवल 3,257 करोड़ रुपए वार्षिक ही रही। इससे प्रदेश सरकार की पोजिशन को दर्शाती है।

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वित्तीय वर्षरेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट (करोड़ रुपए में)
2021-2210,249
2022-239,377
2023-248,058
2024-256,258

हिमाचल में पहली बार सैलरी-पेंशन देरी से मिले

हिमाचल की हिस्ट्री में सरकारी कर्मचारी और पेंशनभोगियों को सैलरी-पेंशन की पेमेंट पहली तारीख को होती रही है। किंतु इस सितंबर माह में सैलरी 5 तारीख और पेंशन 10 तारीख को मिला है। इसकी वजह थी कि प्रदेश के खजाने में एकमुश्त 2,000 करोड़ रुपए की राशि नही थी। इसके बाद केंद्र सरकार की तरफ से रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट से 520 करोड़ रुपए मिलने पर दूसरे सोर्स को यूज करके सैलरी की पेमेंट हुई।

फिर सेंट्रल टैक्स में भागीदारी के 740 करोड़ रुपए आने पर 700 रुपए का लोन लेकर 10 तारीख को पेंशन की पेमेंट हुई। 1 माह में सरकार को टैक्स रेवेन्यू और नॉन टैक्स रेवेन्यू के द्वारा मैक्सिमम 1200 करोड़ रुपए की इनकम हो जाती है। मतलब प्रदेश सरकार रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट के 520 करोड़ रुपए की मदद से पेमेंट नही कर सकेगी।

लोन से DA और एरियर नही दे सकते

प्रदेश सरकार 12% DA को लोन लेकर भी नही दे सकती है। सरकार 15 दिसंबर 2022 से 31 जुलाई 2024 तक कुल 21,336 करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी है। सरकार 5864 करोड़ रुपए का लोन लौटा चुकी है। अगले वर्ष तक लोन 1 लाख रुपए से अधिक होगा और लोन से काम नहीं चल सकेगा।

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