मध्य प्रदेश की सरकार ने साल 2005 की पहली तारीख या इससे बाद ज्वाइन हुए कर्मियों को NPS का फायदा दिया है। यह स्कीम कर्मियों की पेंशन में प्रति माह में एक तय राशि डालेगी। इस रकम को कई पेंशन फंड मैनेजरों की तरफ से इन्वेस्ट करते है जिससे रिटायर होने पर कर्मी को एक तय पेंशन का फायदा मिल जाए।
अब NPS से जुड़े एमपी के सरकारी कर्मी अपने अनुसार पेंशन फंड मैनेजर को चुनकर इन्वेस्टमेंट कर सकेंगे। इस प्रयास से कर्मियों को उनके पेंशन के मैनेजमेंट में ज्यादा फ्लेक्सिबिली और ऑप्शन देने वाला होगा।
भारत सरकार की अधिसूचना का पालन
31 जनवरी 2019 में केंद्र सरकार के नोटिस में सरकार ने NPS कर्मियों को पेंशन निधि में ज्यादा इन्वेस्टमेंट प्रोसेस में और ऑप्शन दिए थे। इस नोटिस के बाद प्रदेश सरकार की तरफ से भी कर्मियों पर इन ऑप्शन को लाने पर फैसला हुआ है। इससे प्रदेश के NPS कर्मियों को अच्छे इन्वेस्टमेंट और पेंशन एंड मैनेजर चुनाव के ऑप्शन मिलेंगे।
पेंशन फंड मैनेजर का चयन कैसे राज्य करें?
प्रदेश के NPS स्कीम के तहत आ रहे कर्मी PFRDA से अधिकृत पेंशन फंड मैनेजरों में से किसी को चुन सकेंगे। यह ऑप्शन कर्मी को एक वित्त वर्ष में सिर्फ एक ही बार मिलेगा। यदि किसी कर्मी द्वारा यह ऑप्शन नहीं चुना जाता हो तो अभी वाली व्यवस्था ही लगेगी।
निवेश पद्धति के विकल्प
कर्मी को रिस्क कैपेसिटी और इन्वेस्टमेंट के गोल्स के हिसाब से निवेश की पद्धति चुननी है, जोकि निम्न है-
1. उच्चतर प्रतिफल के लिए जीवनचक्र आधारित ऑप्शन
- परंपरागत जीवनचक्र निधि (Conservative Life Cycle – LC 25) – यहां इक्विटी में निवेश की मैक्सिमम लिमिट 25% है।
- सामान्य जीवनचक्र निधि (Moderate Life Cycle – LC 50) – यहां इक्विटी में निवेश की मैक्सिमम लिमिट 50% है।
2. न्यूनतम जोखिम के साथ प्रतिफल का ऑप्शन
मिनिमम रिस्क में इन्वेस्टमेंट करने वाले कर्मी को सरकारी प्रतिभूति में 100 फीसदी इन्वेस्टमेंट का ऑप्शन होगा।
3. वर्तमान प्रचलित (डिफॉल्ट) निवेश पद्धति
अगर किसी कर्मी को ये ऑप्शन नहीं चुनने हो तो अभी वाली डिफॉल्ट इन्वेस्टमेट का तरीका ऑटोमेटिक मान्य होगा।
अलग से जारी किए जाएंगे दिशा-निर्देश
कर्मी को इन ऑप्शन की यूजफुल गाइडलाइन अलग से मिलेंगे। स्कीम में जरूरी फैसले राज्यपाल के नाम पर हुए है। ऐसे प्रदेश के कर्मी अधिक लाभान्वित होंगे।
इस योजना को लाने का उद्देश्य
इस स्कीम से कर्मी अपनी वित्तीय दशा, रिस्क कैपेसिटी और रिटायरमेंट के बाद स्कीम के हिसाब से इन्वेस्टमेंट कर सकेंगे। साथ ही अपने विश्वसनीय फंड मैनेजर को चुन सकेंगे।