काफी बार देखने को मिलता है कि गलत फिक्सेशन के कारण या किसी दूसरी वजह से ज्यादा पेमेंट हो जाती है। इसके बाद सरकार की तरफ से वसूली का काम होता है। इसी बात के लिए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट की तरफ से एक बड़ा निर्णय साफ करता है कि पेंशन के तय हो जाने पर पेंशनर्स को अगर पेंशन दे दी गई है। इसके बाद इसको गलत बताकर वसूली का काम नही हो सकता है। इस फैसले को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने लुधियाना के खुशीराम की पिटीशन को लेकर दिया है।
पेंशन रिकवरी के खिलाफ कोर्ट में पिटीशन
अदालत में दी गई अपनी पिटीशन में खुशीराम ने कहा है कि उनको केंद्र सरकार की नौकरी से जुलाई 1989 में रिटायरमेंट मिला था। उनको सितंबर 2023 में केंद्र सरकार की तरफ से विभाग की त्रुटि के कारण ज्यादा पेंशन देने की अधिसूचना प्राप्त हुई थी। खुशीराम का कहना था कि जब पेंशन तय करने में उनका कोई योगदान नहीं रहा तो इस पेंशन रिकवरी का नोटिस कैसे आ सकता है।
केंद्र सरकार ने रिकवरी के निर्देश दिए
केंद्र सरकार की तरफ से इस केस की जांच नहीं हुई और तत्काल नोटिस का ऑर्डर दे दिया गया। केंद्र सरकार ने इसको लेकर RBI की गाइडलाइन के हवाले से करीबन 3 लाख रुपए की वसूली करने की जानकारी दे दी थी।
खुशीराम ने हाईकोर्ट में याचिका डाली
खुशीराम की तरफ से आवेदन देकर इस नोटिस का विरोध हुआ किंतु केंद्र सरकार उनके आवेदन को नकारने लगी। इसके बाद इस आदेश पर याची खुशीराम ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती देकर वसूली का ऑर्डर कैंसिल करने का अनुरोध कर दिया।
हाईकोर्ट का मामले पर आदेश आया
मामले पर अदालत ने याची खुशीराम की कोई त्रुटि न होने के बावजूद उसको दंड देने पर केंद्र सरकार के निर्णय पर प्रश्न किया। अफसरों की तरफ से उनकी त्रुटियों को छुपाने को लेकर याची खुशीराम की पेंशन में करीबन 3,00,000 रुपए की वसूली का काम हुआ था। अब अदालत ने इस वसूली के ऑर्डर को कैंसिल करके रकम याची खुशीराम को वापिस करने का ऑर्डर दिया है।
यहां हाईकोर्ट का कहना है, यदि गलत फिक्सेशन की वजह से ज्यादा पेमेंट हुई हो तो रिटायरमेंट होने पर यह वसूला नही जा सकता है। यहां पेंशनर की त्रुटि न होने से इसको नही वसूलना होगा।
याची के पक्ष में अन्य फैसला
एक अन्य केस में कृष्णा कुमार देवांगन ने प्रधान पाठक की पोस्ट से दुर्ग में नवंबर 2020 में रिटायरमेंट लिया। 21 फरवरी 2021 में उनको 2.92 लाख रुपए की वसूली का ऑर्डर मिला। इस पर अदालत का कहना था कि याची को सुनवाई का मौका नहीं दिया। यह वसूली गलत है और साल 2002 के तय वेतन के बाद रिटायरमेंट तक कोई नोटिस याची को नहीं दी गई।