उत्तराखंड की सरकार की तरफ से एक खास फैसला हुआ है जिसमे तलाकशुदा बेटियों को माता-पिता की पेंशन में अधिकार मिलेगा। यहां माता-पिता के देहांत के बाद भी यह अधिकार मिलेगा। इस फैसला का प्रयोजन तलाक के चुकी महिलाओं को वित्तीय सुरक्षा और सपोर्ट देना है जिससे वो आत्मनिर्भर और मजबूत होकर जीवन बिताए।
इस नए नियम से तलाकशुदा महिलाओं को अपने पेरेंट्स की पेंशन का अधिकार देने की कानूनी प्रक्रियाओं में आसानी होगी। इससे पहले तक तलाक के चुकी महिला को इस पेंशन को पाने में एक कानूनी प्रक्रिया से लड़ना होता था और उनके टाइम और रिसोर्स बर्बाद होते थे। किंतु यह फैसला आ जाने से उनको पुरानी कानूनी प्रक्रिया में जाने की जरूरत नहीं रहेगी और उनका अधिकार भी आसानी से मिल जाएगा।
तलाक के बाद भी पेंशन मिलेगी
इस फैसले के मुताबिक अगर कोई महिला अपने माता-पिता के देहांत के बाद तलाक लेती हो तो उसको पेंशन का हक मिल जाएगा। इस फैसले से तलाक ले चुकी महिलाओं को ज्यादा आजादी और सेफ्टी का अनुभव हो पाएगा।
वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल की स्वीकृति
उत्तराखंड सरकार में वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल की तरफ से यह प्रपोजल स्वीकृत हो गया है। इस प्रपोजल को कैबिनेट की मीटिंग में आखिरी मंजूरी देने को पेश किया जाना है। इस बारे में अग्रवाल कहते है कि भारत सरकार और यूपी की सरकार की तरफ से ये संशोधन पूर्व में ही स्वीकृत हो चुका है।
अभी के सिस्टम के अंतर्गत, प्रदेश कर्मी के रिटायरमेंट और देहांत होने पर उसके आश्रित को पारिवारिक पेंशन का फायदा मिलता है। किंतु इस वाले नए नियम में तलाकशुदा बेटी को भी पेंशन का फायदा मिल पाएगा।
नए नियम का असर
वित्तमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल का कहना है कि इन नियमों में परिवर्तन के साथ ही ये शर्त भी हटी है कि यदि बेटी के तलाक का प्रोसेस उसके पेरेंट्स की जिंदा रहते शुरू हुआ है किंतु फैसला बाद में आता हो, तब भी बेटी को पेंशन लेने का अधिकार मिल जाएगा। सरकार की तरफ से एक तलाक ले चुकी महिला की डाली हुई याचिका के बाद पारिवारिक पेंशन को लेकर अपने दृष्टिकोण में बदलाव किया है।
यहां याचिकाकर्ता का पक्ष था कि उसके तलाक की कार्यवाही की शुरुआत साल 2019 में हुई थी और तब उनके पिता जिंदा थे। साल 2022 में पिता की मृत्यु हुई और माता का देहांत साल 2018 में हो गया।
उत्तराखंड सरकार का उद्देश्य
सरकार का यह फैसला तलाक ले चुकी महिलाओं को आर्थिक सुरक्षा देता है ताकि उनको फायदा हो और वे सशक्त बने। यह प्रपोजल अब प्रदेश कैबिनेट की मीटिंग में पेश होगा।