सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण के मामले में रुकी हुई उत्तर प्रदेश में सहायक शिक्षा भर्ती केस पर हाई कोर्ट के निर्णय पर रोक लगाई है। अब इस केस पर सुप्रीम कोर्ट नए तरीके से सुनवाई की शुरुआत करेगा। इस मामले में यूपी सरकार और हाई कोर्ट में पक्षकारों से जवाब भी मांगे गए है। यह सभी कुछ हो जाने पर सभी उम्मीदवारों का सवाल यही होगा कि इसके क्या प्रभाव होंगे और नौकरी बचेगी या नहीं?
मेरिट लिस्ट फिर से तैयार करने के आदेश
इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकार को आदेश सुनाया था कि सरकार यूपी सहायक शिक्षक भर्ती की मेरिट सूची को कैंसिल करके 3 माह में फिर से इसको बनाए। इस रोक को 25 सितंबर तक लगाया गया है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार और हाईकोर्ट में पक्षकारों को नोटिस देकर मैक्सिमम 7 पेज का उत्तर भी मांगा है।
यूपी के टीचर्स की जॉब रहेगी या जायेगी?
नई चयन लिस्ट के बनने से बीते 4 वर्षो से जॉब करने वाले हजारों टीचर्स का भविष्य शंका में हो गया है। चूंकि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरक्षण के आधार पर 69 हजार सहायक टीचर्स की वर्तमान की लिस्ट को सही नही पाकर मेरिट लिस्ट को कैंसिल किया है। कोर्ट की तरफ से यूपी सरकार को 3 माह में नई मेरिट सूची बनाने का भी ऑर्डर मिला है। यह काम आरक्षण के नियम और मूल शिक्षा नियमावली के अंतर्गत करने के ऑर्डर हुए है। इस बात के सीधा प्रभाव सामान्य वर्ग के ऊपर होने के अनुमान है।
भविष्य की आरक्षण नियमावली पर ध्यान होगा
सुप्रीम कोर्ट की तरफ से मेरिट सूची पर रोक लगने से सामान्य वर्ग के चुने गए उम्मीदवारों को नई आशा मिलेगी। इन लोगो को मेरिट सूची से बाहर निकलने का भय लग रहा था। किंतु इस मामले में आखिरी निर्णय पर आना कठिन है। चूंकि यदि पक्षकार सुप्रीम कोर्ट में भी पिछली वाली मेरिट सूची को दोषपूर्ण सिद्ध कर दें तो उन टीचर्स पर गाज गिनेगी।
किंतु यदि सुप्रीम कोर्ट यूपी सहायक शिक्षण भर्ती में आरक्षण नियमावली (परीक्षा के बाद आरक्षण) से संतोष नहीं करता है तो किसी के लिए भय की बात नही है। चुने हुए शिक्षको की जॉब नहीं जाएगी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट का टीचर्स की नौकरी पर कथन
अब नौकरी से हटने या न हटने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की तरफ से वर्तमान सत्र में किसी भी नियुक्त शिक्षक की जॉब नहीं जाने पर सकते मिलता है। हाईकोर्ट का कहना था कि यदि किसी वर्तमान टीचर पर बुरा प्रभाव होता है तो वर्तमान के शैक्षिक सत्र का फायदा मिलेगा जिससे विद्यार्थियों की शिक्षा पर बुरा प्रभाव न हो। इस केस में सुप्रीम कोर्ट अगली सुनवाई 23 सितंबर में करने वाला है।