महाराष्ट्र के 17,00,000 सरकारी कर्मी और टीचर्स ने OPS को लागू करने को लेकर 29 अगस्त को अनिश्चितकालीन हड़ताल करने का निर्णय ले लिया है। इस फैसले से प्रदेश में सरकार के कामकाज रुकने की पूरी संभावनाएं है। ऐसे में आम लोगो को काफी तरीके की दिक्कतों को झेलना होगा। इस हड़ताल का मूल उद्देश्य पुरानी पेंशन योजना को दुबारा से लागू करवाना है जिसको लेकर महाराष्ट्र की सरकार ने प्रतिक्रिया नहीं दी है।
सरकार द्वारा दिए गए आश्वासन
इससे पहले साल 2023 के मार्च माह में भी कर्मियों की तरफ से पुरानी पेंशन की मांग के लेकर 7 दिनों की हड़ताल हुई थी। तब सीएम एकनाथ शिंदे ने कर्मियों को लिखित में आश्वासन देते हुए उनको पुरानी पेंशन स्कीम के जैसी आर्थिक फायदा और सामाजिक सुरक्षा देने की बात कही थी। किंतु इस बात पर 2023 के दिसंबर तक भी कोई एक्शन नहीं होने की वजह से कर्मी ने दुबारा अनिश्चितकालीन हड़ताल करने का फैसला किया है।
कर्मचारियों का असंतोष
प्रदेश सरकार ने कर्मियों के प्रेशर के कारण सुधार के साथ राष्ट्रीय निवृति वेतन स्कीम (NPS) के घोषणा की थी। इसके मुताबिक कर्मी के उसकी आखिरी बेसिक सैलरी का 50% + DA को देना निश्चित हुआ। किंतु सरकार की तरफ से अपना वादा निभाया नही गया। इससे प्रदेश के 8.5 लाख कर्मी और टीचर्स में काफी रोष है और वो फिर से अपनी पेंशन वाली मांग लेकर आए है।
हड़ताल का प्रभाव
अब सरकार के कर्मियों के एकजुट होकर हड़ताल करने से महाराष्ट्र में सरकार से जुड़ी सेवाएं काफी प्रभावित होगी। सरकार के काम के रुकने से सामान्य नागरिक को उनके कार्यों में देरी देखनी पड़ेगी। यह हड़ताल सरकार के हॉस्पिटल, स्कूल और दूसरी सर्विस को प्रभावित करेगी।
पुरानी पेंशन योजना की बहाली की मांग
कर्मचारी और टीचर्स संघों की मुख्य मांग है कि 1 नंबर 2005 के बाद ज्वाइन हुए कर्मियों को पुरानी पेंशन स्कीम का लाभ मिले। उनकी राय में पुरानी वाली पेंशन स्कीम आर्थिक एवं सामाजिक सुरक्षा को लेकर काफी जरूरी है।
सरकार उठाये ठोस कदम
अब सरकार के कर्मियों की इस हड़ताल से साफ होता है कि पेंशन आदि मामले पर सरकार और कर्मियों में टकराहट चल रही है। यदि सरकार की तरफ से जल्दी एक्शन नहीं होगा तो प्रदेश में सरकार की सर्विस काफी प्रभावित होगी और सामान्य लोग भी काफी परेशान होंगे।
महाराष्ट्र की सरकार की तरफ से कर्मियों की आखिरी बेसिक सैलरी के 50% पेंशन + DA को देने का फैसला हुआ। किंतु अब 1 साल का समय होने पर भी यह लागू नहीं हुआ है। फिर सरकार को कई बार प्रतिवेदन देने पर भी कुछ एक्शन नहीं हुआ। अब निराश होकर कर्मी और टीचर्स 29 अगस्त से हड़ताल करने को विवश हुए है।