सैलरी और पेंशन में आ रही असमानता की दिक्कत हर दिन जटिल होने लगी है। इस समय पर सर्विस कर रहे कर्मी को प्रति वर्ष 3 फीसदी सैलरी वृद्धि मिल जाती है। दूसरी तरफ पेंशनर्स को इस तरीके का फायदा नहीं मिल पा रहा है। इसी गैर बराबरी के तहत “वन पेंशन, वन रैंक” (OROP) की फॉर्मूले के अंतर्गत पेंशनर्स के साथ भेदभाव हो रहा है।
OROP की मूल भावना
देश में वन रैंक वन पेंशन (OROP) लाने का मूल प्रयोजन यह है कि एक ही रैंक से रिटायर हो रहे कर्मचारियों को एक जैसी पेंशन मिलनी चाहिए। अब वो कर्मी किसी भी वक्त सर्विस से रिटायर हुए हो। इससे साफ है कि अगर सर्विस कर रहे कर्मचारी की सैलरी में बढ़ोत्तरी होती हो तो उसी रैंक के पेंशनर्स को पेंशन वृद्धि मिले।
समस्या के निदान का प्रपोजल
इस दिक्कत का हल ये होगा कि सर्विस कर रहे कर्मचारियों को मिल रही 3 फीसदी सालाना सैलरी की बढ़ोतरी के अनुसार, पेंशनर्स को भी उसकी आधारभूत पेंशन में 1.5 फीसदी सलाना बढ़ोत्तरी मिले। ये बढ़ोत्तरी आधारभूत सैलरी के 50 फीसदी के समान रहेगी जोकि पेंशनर्स को उसके सर्विस पीरियड के समय पर मिलती थी।
सॉल्यूशन के फायदे
- यह प्रपोजल माने जाने पर पेंशनर्स को हर 5 सालो में पेंशन संशोधित करने की जरूरत नहीं रहेगी।
- सर्विस कर रहे और रिटायर कर्मचारी में असमानता में कमी आयेगी।
- पेंशन वृद्धि का प्रोसेस आसान होगा और प्रशासनिक बोझ में भी कमी होगी।
सरकार को गंभीर होना होगा
पेंशनर्स की बेसिक पेंशन में 1.5 फीसदी सालाना बड़ोत्तरी का ये प्रपोजल OROP के भाव को बनाकर रखेगा साथ ही उनको वित्तीय रूप से सुरक्षित भी करेगा। सरकार की तरफ से इस प्रपोजल के ऊपर गंभीर होकर विचार करने की जरूरत है। इसके बाद पेंशनर्स को एक जैसी और न्यायपूर्ण फायदा देने की तरफ प्रयास होने चाहिए।