India-Pak Global Stand: भारत-पाक तनाव पर कौन देश भारत के साथ? ईरान, तुर्की और सऊदी के फैसले ने बढ़ाई बेचैनी!

भारत-पाकिस्तान तनाव ने वैश्विक हलकों में चिंता बढ़ा दी है। जहां भारत ने आतंक के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर में निर्णायक कदम उठाया, वहीं पाकिस्तान की ओर से हमलों का विफल प्रयास हुआ। तुर्की ने पाकिस्तान का समर्थन किया, पर अमेरिका, सऊदी, नेपाल और ईरान ने संतुलन साधा। चीन ने तटस्थता दिखाई लेकिन पाकिस्तान को हथियारों की आपूर्ति की भूमिका पर सवाल बना हुआ है।

By allstaffnews@admin
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India-Pak Global Stand: भारत-पाक तनाव पर कौन देश भारत के साथ? ईरान, तुर्की और सऊदी के फैसले ने बढ़ाई बेचैनी!
India-Pak Global Stand

भारत और पाकिस्तान के बीच जारी सैन्य टकराव ने एक बार फिर दुनिया का ध्यान इस संवेदनशील क्षेत्र की ओर खींच लिया है, जहां दोनों परमाणु संपन्न देश आमने-सामने हैं। पाकिस्तान की ओर से किए गए हालिया ड्रोन और हथियारबंद हमलों का भारत ने अपने आधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम ‘सुदर्शन’ की मदद से जवाब दिया, जिसमें पाकिस्तान को भारी सैन्य नुकसान उठाना पड़ा। भारत ने आतंकवादी ठिकानों के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम देते हुए पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में कई आतंकी गढ़ों को ध्वस्त कर दिया।

भारत की कार्रवाई के जवाब में पाकिस्तान ने सैन्य और नागरिक ठिकानों को निशाना बनाने की कोशिश की, लेकिन भारतीय सेना ने उसकी सभी कोशिशों को विफल कर दिया। चीन निर्मित JF-16 और अमेरिकी F-16 जैसे विमान भारतीय वायुसेना के निशाने पर आए और मार गिराए गए। इन घटनाओं के बाद दुनिया भर में तनाव के गहराने की आशंका ज़ाहिर की जा रही है।

तुर्की की भूमिका और पाकिस्तान का समर्थन

सबसे अधिक चौंकाने वाला रुख तुर्की का रहा, जिसने इस पूरे प्रकरण में पाकिस्तान का खुला समर्थन किया है। राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन ने आतंकवादियों की मौत पर संवेदना प्रकट की और भारत की ओर से की गई जवाबी कार्रवाई की आलोचना की। उन्होंने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से बात कर कश्मीर में अंतरराष्ट्रीय जांच की मांग को भी उचित ठहराया। तुर्की का यह रवैया भारत में गहरी नाराजगी का कारण बना है।

भारत-तुर्की के बीच जहां 10 अरब डॉलर से अधिक का द्विपक्षीय व्यापार होता है, वहीं तुर्की और पाकिस्तान के व्यापार का आंकड़ा 1.5 अरब डॉलर से भी कम है। इसके बावजूद तुर्की का झुकाव पाकिस्तान की ओर चिंता का विषय बना हुआ है।

चीन की चुप्पी और रणनीतिक तटस्थता

चीन, जो पाकिस्तान को हथियारों की आपूर्ति में अग्रणी है, इस बार सार्वजनिक तौर पर तटस्थ रुख अपनाता दिखा। हालांकि, SIPRI के आंकड़ों के मुताबिक 2020 से 2024 के बीच पाकिस्तान द्वारा आयात किए गए 81% हथियार चीन से ही आए थे। चीन ने दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील की है, लेकिन उसने यह स्वीकार करने से इनकार कर दिया कि पाकिस्तान भारत पर चीनी हथियारों का प्रयोग कर रहा है। यह रुख बताता है कि चीन दोनों देशों के साथ अपने आर्थिक हितों को संतुलित रखना चाहता है।

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नेपाल का स्पष्ट समर्थन भारत को

भारत का पारंपरिक मित्र नेपाल इस बार खुलकर भारत के पक्ष में खड़ा दिखा। पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए 26 लोगों में एक नेपाली नागरिक भी शामिल था, जिससे नेपाल ने आतंकवाद के खिलाफ भारत के रुख का समर्थन किया। नेपाल सरकार और वहां के वरिष्ठ नेता भारत के साथ खड़े नजर आए और साफ कहा कि नेपाल की ज़मीन किसी भी विरोधी ताकत द्वारा भारत के खिलाफ इस्तेमाल नहीं होने दी जाएगी।

अमेरिका की संतुलित कूटनीति

अमेरिका ने भी पहलगाम हमले की निंदा की, लेकिन साथ ही भारत और पाकिस्तान दोनों से तनाव कम करने की अपील की। उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने कहा कि अमेरिका इस संघर्ष में किसी पक्ष की ओर से हस्तक्षेप नहीं करेगा, लेकिन कूटनीतिक हल तलाशने के प्रयास जारी रहेंगे। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने भारत और पाकिस्तान के साथ लगातार संवाद बनाए रखने की बात कही है।

सऊदी अरब की बदली प्राथमिकताएं

कभी पाकिस्तान का प्रमुख रणनीतिक साझेदार रहा सऊदी अरब अब भारत के नजदीक आता दिख रहा है। सऊदी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच मित्रतापूर्ण रिश्ते इस समय भारत के पक्ष में झुके हुए हैं। पहलगाम हमले के बाद भारत लौटे पीएम मोदी के लिए सऊदी विदेश मंत्री का भारत दौरा और आतंकवाद पर भारत के साथ खड़े होने का संदेश, भारत-सऊदी संबंधों में मजबूती का प्रतीक है।

ईरान की समझदारी और संतुलन

ईरान ने भारत और पाकिस्तान दोनों से शांति बनाए रखने की अपील की है। भारत दौरे पर आए ईरानी विदेश मंत्री ने स्पष्ट किया कि क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग की दिशा में शांति आवश्यक है। भले ही ईरान अतीत में कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ खड़ा रहा हो, लेकिन मौजूदा हालात में उसका तटस्थ रवैया और भारत के साथ संवाद की पहल उसकी परिपक्व कूटनीति को दर्शाता है।

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